Tuesday, December 20, 2011

कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँही जीते रहे हँसते रहे

उसके आ जाने की उम्मीदें लिए
रास्ता मुड़ मुड़ के हम तकते रहे

वक्त तो गुजरा मगर कुछ इस तरह
हम चरागों की तरह जलते रहे

कितने चेहरे थे हमारे आस-पास
तुम ही तुम दिल में मगर बसते रहे
- वाजिदा तबस्सुम

जखीरा से साभार

Friday, December 16, 2011

रूठे हो किसलिए?
















चाँद ने कहा, रूठे हो किसलिए?
हमने कहा दिल टूटा है इसलिए.

चाँद ने कहा;
चाहत में ऐसा होता है.
हमने कहा;
चाहत भी तो एक धोखा है.

चाँद ने कहा;
तू उसको भूल जा.
हमने कहा;
तू ये सांसें भी साथ ले जा .

चाँद ने कहा;
दुनिया में कई चेहरे हैं.
हमने कहा;
दिल पे सिर्फ उसी की यादों के पहरे हैं.

चाँद ने कहा;
ये तेरी नादानी है.
हमने कहा;
मत आजमा मुझे इस कदर.
आखिर ये तेरी और मेरी कहानी है.

चाँद ने कहा;
सलाम है तुझे और तेरे प्यार को.
जो बीती तुझ पर मोहब्बत में
तुम क्यों उसको सहते हो?

हमने कहा;
मेरी सांसें तो चलती हैं.
तुझ चाँद की ही यादो से .
तुम दूर गगन में रहते हो.
हम कही ज़मी पर रहते हैं.

चाँद ने कहा;
मेरी सांसें भी चलती हैं.
तेरी यादों से ए-हमदम .
न रूठो तुम अब इस कदर.
हमारी जान जाती है.

हमने कहा;
इस जिंदगी कि रहो में.
कुछ तुम चलो कुछ मैं चलू .
जीवन कभी सूना न हो.
कुछ मैं कहूँ कुछ तुम कहो.