Tuesday, May 12, 2009

मोनाल पर सवाल

हिमाचल के जंगलों की शान स्टेट बर्ड मोनाल के फ्यूचर पर सवाल उठने लगे हैं। इसी पक्षी परिवार का जुजुराणा भी इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर की रेड डाटा बुक में मोनाल को एनडेंजर्ड स्पीशीज में शामिल किया गया है। दोनों की प्रजातियां खत्म होने की कगार पर हैं।
रिपोर्ट का खुलासा :
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर की रिपोर्ट खुलासा करती है कि दुनिया के 10 हजार पक्षियों की प्रजातियों में से दो तिहाई प्रजातियों पर मौजूदा समय में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसमें से 875 प्रजातियों को थोड़ा खतरा है, 704 प्रजातियां खतरे की जद में हैं जबकि 903 प्रजातियां खत्म होने के कगार पर हैं। सुरीली आवाज वाले पक्षियों की 542 नस्लें भी मिटने के कगार पर हैं।
पक्षियों के लापता होने की वजह :
एक तरफ पक्षियों के प्राकृतिक ठिकाने नष्ट हो रहे हैं तो दूसरी ओर अवैध शिकार पक्षियों के वजूद को खत्म करने के लिए जिम्मेदार है। जलवायु परिवर्तन के कारण भी पक्षियों के घोसले सूने हो रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि वनीकरण के कारण वनस्पति आवरण बढ़ रहा है लेकिन प्राकृतिक तौर पर पाए जाने वाले वनों के मुकाबले जैव विविधता बेहद निम्न है।
पिछले 15 साल में मोनाल की संख्या आधे भी कम रह गई है। प्रदेश की सोलह वाइल्ड लाइफ सेंक्च्यूरीज में मोनाल मौजूद हैं। विभिन्न सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में मोनाल की संख्या 2200 के करीब रह गई है।
कहां कितने पक्षी
तीर्थन 28
नेशनल पार्क कुल्लू 43
तालरा 27
शिकारी देवी 123
सैंज 12
रुपीभावा 229
रकचम चितकुल 67
नेहरू, मंडी 147
मनाली 87
खोखण 17
कनावर 960
गमगुल 160
दरनघाटी 144
चूड़धार 187
बंदर और लंगूरों का अस्तित्व भी सकंट में
लंदन : भविष्य में बंदरों-लंगूरों की कई प्रजातियों हमें किताबों में ही दिखेंगी। वल्र्ड कंजर्वेशन यूनियन की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाली सदी में एक तिहाई प्राइमेट (वह स्पीशीज जिससे मानव जाति का विकास हुआ है) समाप्त हो जाएंगी। दुनिया में 394 प्राइमेट स्पीसीज में 114 पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। 21 देशों के 60 विशेषज्ञों ने 25 प्राइमेट स्पीसीज की एक लिस्ट तैयार की है जो डेंजर जोन में हैं। इनकी संख्या अब कम बची है। जिनको नष्ट होने में ज्यादा समय नहीं है।
100 साल ज्यादा खतरनाक
वल्र्ड कंजर्वेशन यूनियन के चेयरमैन रसेल मीटमीयर का कहना है कि ये जीव इस सदी में तो किसी तरह अपना अस्तित्व बचाने में कामयाब हो गए लेकिन अगली सदी में इनका पहुंचना मुश्किल है। ये जीव आधी सदी से अपने अस्तित्व के लिए भयंकर संघर्ष कर रहे हैं।
एशिया में सबसे ज्यादा खतरा
सबसे बुरी हालत एशिया और अफ्रीका की है। डैंजर जोन में 25 स्पीशीज में 11 एशिया, 11 अफ्रीका, 3 साउथ और सेंट्रल अमेरिका से हैं।

साभार : दैनिक भास्‍कर