Thursday, August 18, 2011

मैंने तुझसे बेपनाह मोहब्बत की है

तुम्हारी इज़ाज़त के बिना न चलूँ एक कदम,
तुम से कुछ इस तरह से चाहत की है.
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी का कोई मकसद नहीं,
मैंने कुछ इस तरह तुम्हें पाने की तम्मना की है.
हमारे बीच हैं बंदिशें ज़माने की ,
मैंने फिर भी तुम से बेपनाह मोहब्बत की है.
मेरे दिल में बस जाओ तुम, मेरी धड़कन बनकर,
मैंने दिल कि गहराइयों से ये इबादत की है.
तुम्हारे रूठने का दर्द कितना मुश्किल है,
समझ सको तो महसूस करो,
तेरे बिना दम तोड़ देंगी ये सांसें,
मैंने उस मोहब्बत की कुछ इस तरह से हिफाज़त की है.
वो तस्वीर तेरी यादों की ,
वो अमानत तेरे अरमानों की
तेरी सूरत तेरी सीरत की चाह है मुझको
उसे पाने कि तमना की है.
मैंने तुझसे बेपनाह मोहब्बत की है.
मैंने तुझको पाने की दिल से इबादत की है...
शशि